Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -21-Feb-2022 तेरी तस्वीर

गज़ल (एक प्रयास)

पुराने खतों में आज भी तेरी तस्वीर नजर आती है, 
 खूबसूरत यादों की परछाई ज़हन में नजर आती है |

सुखा हुआ गुलाब नहीं रखा था मैंने उनमें, 
जब भी देखती हूँ बस तेरी ही छवि नजर आती है |

दिल से दिल की बातें कहा भुलायेगीं तुझे सनम, 
तेरी नशीली आखें आज भी ख़त में नजर आती है |

कैसे भूल सकते है तेरे कलम की लिखावट , 
कोरे कागज पर तेरी लिखावट भी नजर आती है |

छुप छुप कर हम दोनों का प्यार भरा खत लिखना 
खतों के लिफाफे से अब भी स्याहीं उड़ती नजर आती है |

आज भी उन खतों को देख कर दहक जाती हैं शिखा,  
जिंदगी आज हमसे करती बेवफाई नजर आती है ||

प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली) 

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15 Comments

Shrishti pandey

22-Feb-2022 09:07 PM

Nice

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Abhinav ji

22-Feb-2022 09:09 AM

Nice very nice

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Punam verma

22-Feb-2022 08:40 AM

Very nice

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